amm-logo

Ayurved Mera Mahan


ये वेद नहीं विज्ञान है, हमारी संस्कृति की पहचान है। जिसने दुनिया मे बनाया इस देश को महान है, ऐसा अद्भूत ये वरदान है। आयुर जो आयु बढ़ाये….है इसमे ऐसे उपाय जो वेदों ने है अपनाये….। ऐसे ये आयुर्वेद बन जाये… जो देश ही नहीं विदेश भी अपनाये। �� जय आयुर्वेद �� आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज संभव है।

237444224_4165915963521028_649440997385970760_n-transformed-e1660595402849
अशोक (saraca asoca)
Home » Herbals  »  अशोक (saraca asoca)
अशोक (saraca asoca)

अशोक को सीता अशोक भी कहा जाता हैं... यह अशोक वही वृक्ष हैं जिसका नाम रामायण में अशोक वाटिका से जुड़ा हैं जहां माता सीता को रखा गया था |

ऐसा कहा जाता है कि जिस पेड़ के नीचे बैठने से शोक नहीं होता, उसे अशोक कहते हैं, अर्थात् जो स्त्रियों के सारे शोकों को दूर करने की शक्ति रखता है, वही अशोक है...। अशोक का पेड़ आम के पेड़ की तरह सदा हरा-भरा रहता है, जो 7.5 से 9 मीटर तक ऊंचा तथा अनेक शाखाओं से युक्त होता है....।
 इसका तना सीधा आमतौर पर लालिमा लिए हुए भूरे रंग का होता है.... यह पेड़ सारे भारत में आसानी से मिलता है.... अशोक के पत्ते डंठल के दोनों ओर 5-6 के जोड़ों में 9 इंच लंबे, गोल व नोकदार होते हैं... प्रारंभ में पत्तों का रंग तांबे के रंग के समान होता है, जो बाद में लालिमा लिए हुए गहरे हरे रंग का हो जाता है... सूखने के बाद पत्तों का रंग लाल हो जाता है। पुष्प प्रारंभ में सुंदर, पीले, नारंगी रंग के होते हैं... बंसत ऋतु में लगने वाले पुष्प गुच्छाकार, सुगंधित, चमकीले, सुनहरे रंग के होते हैं, जो बाद में लाल रंग के हो जाते हैं... मई के माह में लगने वाली फलियां 4 से 10 बीज वाली होती हैं... अशोक फली गहरे जामुनी रंग की होती है.. फली पहले गहरे जामुनी रंग की होती है, जो पकने पर काले रंग की हो जाती है... पेड़ की छाल मटमैले रंग की बाहर से दिखती है, लेकिन अंदर से लाल रंग की होती है...।
आयुर्वेदिक मतानुसार अशोक का रस कड़वा, कषैला, शीत प्रकृति युक्त, चेहरे की चमक बढ़ाने वाला, प्यास, जलन, कीड़े, दर्द, जहर, खून के विकार, पेट के रोग, सूजन दूर करने वाला, गर्भाशय की शिथिलता, सभी प्रकार के प्रदर, बुखार, जोड़ों के दर्द की पीड़ा नाशक होता है....।
होम्योपैथी मतानुसार अशोक की छाल के बने मदर टिंचर से गर्भाशय सम्बंधी रोगों में लाभ मिलता है और बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना, पेशाब कम मात्रा में होना, मासिक-धर्म के साथ पेट दर्द, अनियमित स्राव तथा रक्तप्रदर का कष्ट भी दूर होता है....।
वैज्ञानिक मतानुसार, अशोक का मुख्य प्रभाव पेट के निचले भागों यानी योनि, गुर्दों और मूत्राशय पर होता है....
गर्भाशय के अलावा ओवरी पर इसका उत्तेजक असर पड़ता है,यह महिलाओं में प्रजनन शक्ति को बढ़ाता है... ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top