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Ayurved Mera Mahan


ये वेद नहीं विज्ञान है, हमारी संस्कृति की पहचान है। जिसने दुनिया मे बनाया इस देश को महान है, ऐसा अद्भूत ये वरदान है। आयुर जो आयु बढ़ाये….है इसमे ऐसे उपाय जो वेदों ने है अपनाये….। ऐसे ये आयुर्वेद बन जाये… जो देश ही नहीं विदेश भी अपनाये। �� जय आयुर्वेद �� आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज संभव है।

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Naadi Pariksha
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नाडी/नाड़ी परीक्षा

नाडी परीक्षा के बारे में शारंगधर संहिता ,भावप्रकाश ,योगरत्नाकर आदि ग्रंथों में वर्णन है । महर्षि सुश्रुत अपनी योगिक शक्ति से समस्त शरीर की सभी नाड़ियाँ देख सकते थे । ऐलोपेथी में तो पल्स सिर्फ दिल की धड़कन का पता लगाती है : पर ये इससे कहीं अधिक बताती है । आयुर्वेद में पारंगत वैद्य नाडी परीक्षा से रोगों का पता लगाते है । इससे ये पता चलता है की कौनसा दोष शरीर में विद्यमान है । ये बिना किसी महँगी और तकलीफदायक डायग्नोस्टिक तकनीक के बिलकुल सही निदान करती है। जैसे की शरीर में कहाँ कितने साइज़ का ट्यूमर है , किडनी खराब है या ऐसा ही कोई भी जटिल से जटिल रोग का पता चल जाता है। दक्ष वैद्य हफ्ते भर पहले क्या खाया था ये भी बता देतें है। भविष्य में क्या रोग होने की संभावना है ये भी पता चलता है।

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- महिलाओं का बाया और पुरुषों का दाया हाथ देखा जाता है ।

- कलाई के अन्दर अंगूठे के नीचे जहां पल्स महसूस होती है तीन उंगलियाँ रखी जाती है ।

- अंगूठे के पास की ऊँगली में वात , मध्य वाली ऊँगली में पित्त और अंगूठे से दूर वाली ऊँगली में कफ महसूस किया जा सकता है ।

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- वात की पल्स अनियमित और मध्यम तेज लगेगी ।

- पित्त की बहुत तेज पल्स महसूस होगी ।

- कफ की बहुत कम और धीमी पल्स महसूस होगी ।

- तीनो उंगलियाँ एक साथ रखने से हमें ये पता चलेगा की कौनसा दोष अधिक है ।

- प्रारम्भिक अवस्था में ही उस दोष को कम कर देने से रोग होता ही नहीं ।

- हर एक दोष की भी ८ प्रकार की पल्स होती है ; जिससे रोग का पता चलता है , इसके लिए अभ्यास की ज़रुरत होती है ।

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।।वात, पित्त और कफ (Vata, Pitta, Kapha) रोग लक्षण।।

वात, पित्त और कफ (Vata, Pitta, Kapha) त्रिदोष नामक तीनों दोष हिन्दू आयुर्वेद में महत्वपूर्ण हैं। ये तीनों दोष शरीर के विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य स्थितियों और रोगों की वजह बनते हैं। नीचे वात, पित्त और कफ दोष के लक्षणों की एक संक्षेप में व्याख्या की गई है:

वात (Vata) रोग लक्षण:
वात दोष के लक्षण:
अनियमित और अस्थिर मस्तिष्क और शारीरिक गतिविधियां।
शारीरिक दुर्बलता और थकान।
शीतल और सुखी त्वचा।
नींद की कमी और अनिद्रा।
अवसाद, चिंता और तनाव।
आंखों, आँखों के चारों ओर जलने की संभावना।
उच्चतम और निम्नतम शरीरिक तापमान के अवधारण।

पित्त (Pitta) रोग लक्षण:
पित्त दोष के लक्षण:
गर्म त्वचा और रक्त।
अधिक पसीना और तेज गर्मी झेलना।
अत्यधिक भूख और पेट की जलन।
गुस्सा, चिढ़चिढ़ापन और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी।
आंतों, आंत्र प्रणाली या श्वसन मार्ग में जलन और दर्द।
पेट की एसिडिटी, पाचन संबंधी समस्याएं और जीर्ण साधन या विषाक्तता।
उच्चतम और निम्नतम शरीरिक तापमान के अवधारण।
कफ (Kapha) रोग लक्षण:
कफ दोष के लक्षण:
ठंडी और ओजस्वी त्वचा और रसना।
ठंडे और स्निग्ध पेशियाँ।
ज्यादा भूख, पेट में भारीपन और उबकाई की संभावना।
नींद, मंदता और ऊँघने की संभावना।
बंद नाक, छाती में जमाव और श्वसन की समस्याएं।
घावों की गहनता और उच्चतम और निम्नतम शरीरिक तापमान के अवधारण।
यहां परिभाषित लक्षण केवल सामान्य हैं और यह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक लक्षणों में अंतर कर सकते हैं। अगर आपको किसी विशेष रोग के बारे में चिंता है, तो मैं आपको एक चिकित्सक से संपर्क करने की सलाह दूंगा।
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